5 साल में पृथ्वी से मनुष्य खत्म हो सकता है यदि मधुमखी खत्म हो गयी जाने कैसे ?? Man can be eliminated from the earth in 5 years in Hindi
5 साल में पृथ्वी से मनुष्य खत्म हो सकता है यदि मधुमखी खत्म हो गयी जाने कैसे ??
Man can be eliminated from the earth in 5 years if the bee is gone, know how??
आइंस्टीन का कहना सही और तथ्यनुरूप है। प्रश्न में तो पांच वर्ष कहा गया है लेकिन मधुमक्खियों के बिना जीवन समाप्त होने में चार साल ही काफी है। सुनने में अजीब लगता है परंतु यह एक वैज्ञानिक तथ्य है। यदि ऐसा होता है तो पृथ्वी पर जीवन समाप्त हो सकता है पृथ्वी पर संतुलन बनाने के लिए प्रतेक पशु, पक्षी की मुख्य भूमिका है।
इस बात का कोई प्रमाण नही है कि आइंस्टीन ने ही यह बात कही थी या नही। सिर्फ मधुमक्खियां ही नही, सभी प्रकार की छोटी-बड़ी मक्खियां इसमे शामिल है। जैसे तितलियाँ, मधुमखियाँ, पीली वाली मधुमखियाँ, कीट , पतंगा व विभिन्न तरह मक्खियाँ शामिल है।
पृथ्वी पर जीवन, परागण की प्रक्रिया पर बहुत हद तक निर्भर करता है। यही वह सार्वभौमिक प्रक्रिया है जिससे पृथ्वी पर वनस्पतियों का वजूद है। परागण में मक्खियां अहम भूमिका अदा करती है बड़े स्तर पर भी, सूक्ष्म स्तर पर भी। और भी जीवजंतु, पक्षी, चमगादड़ की प्रजातियां इसमे महत्त्वपूर्ण है पर मधुमक्खियां का योगदान असीमित है। मधुमखियों का मुख्य कार्य ही परागण करने का होता है इसी प्रक्रिया से वो अपने लिए भोजन की व्यवस्था भी करती है।
मधुमक्खियां नही होंगी, परागण नही होगा, पौधे नही होंगे, जानवर नही होंगे, फिर इंसान भी नही होंगे। भोजन लड़ी अवरुद्ध हो जाएगी। प्रकृति का संतुलन बिगड़ जायेगा। परिणाम और भी भयानक हो सकते है। हजारों पौधों की प्रजातियां अचानक से लुप्त हो जाएंगी। इसके साथ ही पृथ्वी से जीवन भी लुप्त हो जायेगा। प्रतेक जीव जंतु के जीवन व सहियोग से पृथ्वी पर जीवन संभव बन पाया है।
- परागण क्या है?
जब किसी पुष्प का परागकण निकालकर किसी दूसरे पुष्प या फिर किसी दूसरे पौधे के पुष्प तक पहुँचता है, तो इस क्रिया को परागण कहते हैं
आधुनिक समय में विभिन्न उन्नत वैज्ञानिक उपायों की वजह से जीवन समाप्त होने की प्रक्रिया थोड़ी मद्धम जरूर हो सकती है, पर मनुष्य प्रजाति पर संकट जरूर आएगा। इसी तथ्य के मद्देनजर मधुमक्खियों के संरक्षण पर विशेष ध्यान देने की अधिक आवश्यकता है। मनुष्य को एक बात हमेशा याद रखनी है की वो हैं तो हम है।
ये नन्हे सैनिक प्रकृति के प्रहरी है। इनके योगदान को पहचान की आवश्यकता है।
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